पतंजलि में गठिया रोग की दवा का नाम और इस्तेमाल देखिये

पतंजलि में गठिया रोग की दवा
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हेल्लो दोस्तों कैसे हैं आप लोग आशा करता हूँ सब बढ़िया होंगे। आज के इस आर्टिकल में हम बात करेंगे पतंजलि में गठिया रोग की दवा की दवा के बारे में बताएँगे क्या आप भी गठिया के दर्द से परेशन हैं तो आप बिल्कुल सही जगह आये हैं। आज के इस आर्टिकल में हम आपको बताएँगे पतंजलि में गठिया रोग की दवा गठिया रोग स्पेशलिस्ट डॉक्टर से इसकी दवा के बारे में जानेंगे। गठिया एक ऐसी गंभीर बीमारी है जिसमे हड्डियों में जुडो में बर्दाश्त से बहार दर्द होता है। ये दर्द ज्यादातर मोटे और 50 से ऊपर के लोगो के होता है।

कम प्रतिरक्षा प्रणाली के कारण हो रही जोड़ों की सूजन को गठिया कहा जाता है। गठिया की समस्या 50 साल से ऊपर के लोगो में देखी जाती है लेकिन आज कल  की खराब और बदलती लाइफस्टाइल के चलते यूथ भी इसके चपेट में आ रहा है। आर्थराइटिस में हडि्डयां घिसने लग जाती हैं। आयुर्वेद के अनुसार गठिया मुख्यत ख़राब वात दोष के कारण होता है और गठिया को इसके मूल कारणों और वात दोषों के के आधार पर आयुर्वेद में तीन श्राणीयो में विभाजित किया गया है। अगर आप गठिया के दर्द से परेशन हैं तो हमारे इस आर्टिकल को ध्यानपूर्वक अंत तक जरुर पढ़ें।

अर्थराइटिस क्या होता है?

आयुर्वेद में गठिया को वातरक्त में कहा गया है। अत: ये वात और रक्त दूषित होने से संबंधित रोग अनुचित आहार-विहार के सेवन से रक्त दूषित होकर वात के सामान्य मार्ग के लिए शरीर में बाधा उत्पन्न करता है तथा फिर वायु और रक्त दूषित सम्पूर्ण शारीर में प्रभाहित होकर विभिन्न लक्षणों में महसुस होने लगते हैं। गठिया रोग कम उम्र के सामन्यता लोगो में नहीं पाया जाता है। ये अधिकतर 30 से 50 की उम्र में अपना असर दिखता है।

पतंजलि में गठिया रोग के उपाये

गठिया Aethritis की प्रोब्लम ये ऐसी बीमारियाँ हैं जिससे लगभग हर दूसरा व्यक्ति पीड़ित है। और उम्र के पड़ाव में तो ये बीमारियाँ हो जाती हैं। कभी कभी छोटे छोटे बच्चो में भी गठिया का रोग हो जाता है। ये जनेटिक लिपि होता है। इसमें RA एफक्टिव ˈपॉज़टिव़ हो जाता है। हड्डियों का पूरा मेटामेलेज्म गडबड हो जाता है। DSR बढ़ जाता है। यूकेरेएसिड भी बढ़ जाता है यूकेरेएसिड बढ़ने से दर्द होता है। पैनमेनिज्मेंट के लिए तो आप दवा लेते है लेकिन इससे आप दर्द को तो थोडा बहुत कम कर सकते हैं। लेकिन आप Aethritis को कियुर नहीं कर सकते इसलिए मेडिकल साइंस में Aethritis का कोई कियुर नहीं है।

  • मेथी को रात में भिगोकर अंकुरित कर सुबह खली पेट खाएं।
  • हल्दी मेथी व सौठ का पाउडर एक एक चम्मच जितना अनुकुल हो उतना खा लें सुबह शाम खाएं।
  • जिंक अल्सर है एसटीडी बहुत बनती है व बवासीर है। वो हल्दी मेथी व सौठ को थुड़ी मात्रा में लें।
  • 1-2 कली लहसुन सुबह खली पेट खा सकते हैं।
  • मेथा घास का पाउडर कर 1-1 चम्मच लें गठिया रोग में लाभ होगा।
  • गठिया के रोग के लिए एलोवेरा का जूस जबरजस्त रहा करता है।

 

गठिया के रोग के लिए पतंजलि दवा

गठिया के रोग के लिए हम योगराज गुग्गुल चन्द्रप्रभा वटी व शिलाजीत रसयान की 1-1 गोली का सुबह शाम सेवन करें। अगर आपको ज्यादा परेशनी हो रही है। तो आप इस गोली को दिन में तीन बार भी ले सकते हैं। इससे लाभ होता है बहुत सारे रोगियों को इससे लाभ हुआ है जो बहुत क्रेडिट कंडीसन में होता है। यानि RA फक्टास 20 तक होता है तो ये नार्मल माना जाता है या 20 से निचे हो तो नार्मल माना जाता है। युकेरियुटिक 7 से निचे हो तो नार्मल माना जाता है। DSR 15 से निचे हो तो नार्मल माना जाता है। जिनको गठिया की प्रोब्लम होती है उनका RA एफक्टिव 500 से ऊपर पहुच जाता है।

ऐसे में गोदन्ती भस्म देते हैं और किसी किसी को पुनर्नवादि मंडूर दवा देते हैं। इन दवा की रस 1-3 ग्राम तक मिलाकर इन सभी को 60 पुड़िया बनाकर के नाश्ते में और शाम को खाना कहने से 1 घंटा पहले ले लें।

पतंजलि में गठिया रोग के उपाये

पुनर्नवादि मंडूर

दोस्तों पुनर्नवादि बहुत ही बढ़िया गठिया के लिए दवा है। पुनर्नवादि से गठिया के रोग में बहुत आराम मिलता है। पुनर्नवादि अधिकतर दर्द और सुजन में इस्तेमाल की जाती है। गठिया के रोग में दर्द और सुजन में ये पुनर्नवादि बहुत ही लाभकारी माना गया है। इसमें पुनर्नवा और मंडोरा खासकर मिला हुआ है। इसमें और भी काफी औषधियो का मिश्रण है जैसे सौठ पीपल मिर्च इत्यादि। औषाधियं इसमें मिलाई गई हैं।

गठिया रोग के लक्षण 

गठिया का रोग होने पर दर्द के अलावा और क्या क्या लक्षण होते हैं। यह भी जनना बहुत ही आवश्यक है ताकि यह रोग होने पर रोगी में लक्षण दिखने पर सही समय पर पहचान हो सके और उसका इलाज हो सके।

  • शरीर के अन्य जोड़ों में भी तेज दर्द होने लगता है।
  • ये रोग होने पर रोगी को दर्द के साथ बुखार भी रहता है।
  • जोड़ो में दर्द, सूजन और जकडन के साथ रोगी को चलने फिरने और हिलने डुलने में भी तकलीफ होने लगती है।

गठिया रोग से बचने के उपाय

गठिया के रोग से बचने के लिए सबसे पहले जीवनशैली और आहार में बदलाव लाने की ज़रूरत होती है।

  • यूरिक एसिड बढ़ने पर रोगी को ज्यादा पानी पीना चाहिये। पानी यूरिक ऐसिड को पतला कर किडनी को उत्तेजित करता है। जिससे शरीर से यूरिक ऐसिड मूत्र के माध्यम से बाहर निकल जाता है।
  • भोजन बनाने के लिए जैतून के तेल का इस्तेमाल करें। यहाँ शारीर के लिए लाभदायक होता हैतथा इसमें विटामिन ई की भरपूर मात्रा होती है। जो यूरिक एसिड के स्तर को कम करता है।
  • पपीते के फल का सेवन करें इसमें मौजूद एंजाइम जोड़ो में आई सुजन को दूर करता है। तथा यूरिक एसिड को शरीर से बाहर निकालने में मदद करता है।
  • ब्लैक बेरी और चेरी का जूस यूरिक एसिड के स्तर कम कर जोड़ो और किडनी से क्रिस्टल को दूर करने में मदद करता है। इसमें एंटी ऑक्सिडेंट और एंटी इंफ्लैमटोरी गुण होते हैं। जो गठिया रोग में लाभदायक होता है।
  • अनानास खाएं इसमें मौजूद एंजाइम ब्रोमिलेन में सुजनरूधि गुण होते हैं। साथ ही ये यूरिक एसिड के क्रिस्टल को तोड़ने में मदद करता है।
  • ताजे फलो एंव सब्जियों का सेवन करें। सुबह नाश्ते में लोकी के जूस का सेवन करें। गाजर और चुकंदर का जूस पिए ये यूरिक एसिड को कम करता है।

गठिया रोग से बचने के उपाय

निष्कर्ष

आज के इस आर्टिकल में हमने आपको  पतंजलि में गठिया रोग की दवा के बारे में बताया और गठिया की एलोपथिक दवा बताई आशा करता हूँ। आपको हमारा यह आर्टिकल पढ़कर गठिया के दर्द का समाधान मिल गया होगा। दोस्तों अगर आपको रोजाना यूज फुल आर्टिकल चाहिए तो हिंदी बायोलॉजी वेबसाइट को हमेशा विजिट करते रहें। अगर आपको हमारा यह आर्टिकल पसंद आया हो तो इसे अपने दोस्तों में ज्यादा से ज्यादा शेयर करें। ताकि आपके दोस्तों को भी गठिया के दर्द के समाधान की जानकारी मिल सके। हमें एक बार कमेंट कर के जरुर बताएं आपको हमारा यह आर्टिकल कैसा लगा धन्यवाद।

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