बैक्टीरिया की खोज सर्वप्रथम किसने की थी – बैक्टीरिया की संरचना
हेल्लो दोस्तों कैसे हैं आप लोग आशा करता हूँ। आप सब बहुत बढ़िया होंगे। हमने पिछले आर्टिकल में आपको मनुष्य का वज्ञानिक नाम बताया और आज के इस आर्टिकल में हम आपको बताएँगे। बैक्टीरिया की खोज सर्वप्रथम किसने की थी। जीवाणु की खोज किसने की और कब की थी। इसके बारे में हम आपको इस आर्टिकल में आपको बैक्टीरिया की खोज और उससे सम्बंधित सारी जानकारी इस आर्टिकल को पढ़कर आपको मिल जाएगी।
बैक्टीरिया की खोज बैक्टीरिया संक्रमण क्या है। बैक्टीरिया के लक्षण बैक्टीरिया के लाभ और हानि और के बारे में अगर आप जनना चाहते हैं तो आपको हमारा यह आर्टिकल अंत तक ध्यानपूर्वक पढना होगा। तो चलिए जानते है बैक्टीरिया की खोज सर्वप्रथम किसने की थी।
बैक्टीरिया क्या है?
बैक्टीरिया एककोशिकीय जीव से बनी होती है। ये हरित लवक रहित होते हैं। यहा पर हरित लवक मतलब होता है। Chlorophil आप पौधों को देखते हैं उनकी जो पत्तिया हरे कलर की होती हैं। क्योंकि उनमे हरित लवक पाया जाता है जिसके फलस्वरूप वो अपना भोजन सूर्य की प्रकश की उपस्थति में बना सकते हैं। परन्तु जो बैक्टीरिया होते हैं उनमे हरित लवक नहीं पाया जाता जिसके चलते वो सूर्य के प्रकश से अपना भोजन प्राप्त नहीं कर सकते। बैक्टीरिया का आकार 2 से 10 मिऊ तक होता है। जोकि बहुत छोटी संख्या है ये केबल माइक्रोस्कोप से ही दिखाई देते हैं।
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बैक्टीरिया की खोज किसने की
सभी बैक्टीरिया जगत मोनेरा के अंतगर्त आते हैं। बैक्टीरिया की खोज सर्वप्रथम हालैंड के निवासी एंटोनी वॉन ल्युवेन्हहॉक ने की थी। इन्होने अपने द्वारा ही बनाई हुई सूक्ष्मदर्शी द्वारा जल लार एंव दातो के खुरचे मैल में बैक्टीरिया को देखा था। बैक्टीरिया एककोशिकीय अतिसूक्ष्म जीव होते हैं। यह प्रथ्वी पर प्रथ्वी के अंदर वायुमंडल में सभी जगह पाए जाते हैं। इसी प्रकार यह विभिन्न जीवो के शारीर जीवो के शारीर में भी पाए जाते हैं। अर्थार्त बैक्टीरिया लगभग प्रत्येक स्थान पर विधमान होते हैं।
बैक्टीरिया के लक्षण
- बैक्टीरिया अत्यंत सरल एंव एककोशिकीय सूक्ष्म जीव है।
- बैक्टीरिया जल थल वायु आदि सभी स्थानों पर पाए जाते हैं।
- बैक्टीरिया मुतोजीवी या परजीवी होते हैं।
- इनकी कोशिका संरचना सरल होती है।
- जीवाणु अकेले व समूह में भी पाए जाते हैं।
- यह बर्फ व गर्म जल के झरनों में 80 डिग्री तापक्रम पर भी पाए जाते हैं।
- बैक्टीरिया में 70S इस प्रकार के राइबोसोम पाए जाते हैं।
- इसमें जनन सामान्यता द्विविभाजन होता है।
बैक्टीरिया का परिमाप
इनका अध्ययन सूक्ष्मदर्शी द्वारा किया जाता है। इनके माप की इकाई माईक्रोन है। इनका माप इनके आकार पर निर्भर करता है। इनकी औसत माप-गोल बैक्टीरिया का व्यास 0.5 से 2.5 माईक्रोन तक तथा लंबे बैक्टीरिया की चौड़ाई 2 मिऊ या माईक्रोन तथा लम्बाई 2 से 15 माईक्रोन तक हो सकती है। कुछ बैक्टीरिया बड़े आकार में भी होते हैं अर्थार्त 30 से 40 माईक्रोन तक हो सकती है।
बैक्टीरिया का आर्थिक महत्व
जीवाणु हमारी क्रिया के लिए अत्यंत आवश्यक होते हैं। कई प्रकार की बैक्टीरिया मनुष्य के लिए अत्यधिक उपयोगी होते हैं तो वहीँ कई प्रकार के बैक्टीरिया हानि पहुचाते हैं।
बैक्टीरिया कितने प्रकार के होते हैं?
कोकस (Cocus)
ये बैक्टीरिया गोलाकार आकृति के होते हैं। जिसे कोकस कहते हैं तथा इनके समूह को कोकई कहते हैं
बैसिलस (Basilus)
वे बैक्टीरिया जो जो छड के आकार का होता है। उसे बैरिलिस कहते हैं तथा इनके समूह को बैसिलि कहते हैं।
स्पाईलम (Spirulum)
वे बैक्टीरिया जिनके दोनों ध्रुवो पर फ्लैजिला पाया जाता है उसे स्पाईलम कहते हैं।
विब्रिओ (Vibreo)
वे बैक्टीरिया जो कम आकार में होते हैं उसे विब्रेओ कहते हैं।
बैक्टीरिया से लाभ
बैक्टीरिया से होने वाले निम्लिखित लाभ है जो निचे बताये गए हैं।
भूमि की उवर्रता बढाने में
दलहनी फसलो में जड़ो में रैजोबियम नामक बैक्टीरिया वायुमंडलीय नाइट्रोजन को ग्रहण करके मृदा की उवर्रता में वृधि करता है। यह मूल पदार्थो को सडा गला कर सरल योगिक में बदलते है। जैसे मृत पदार्थ अमोनिया नाइट्रोजन नाइट्रेट आदि।
दूध का दही में परिवर्तन
दूध में लैक्टोबौसिलस नामक जीवाणु पाया जाता है जो दूध में पाई जाने वाली लैक्टोज शर्करा का किण्वन करके लैक्टोज अम्ल बनता है। दूध का दही जमने में केसन प्रोटीन एकत्र होकर दही जमता है।
चाय कॉफी का उपचार करने में
कुछ बैक्टीरिया जैसे बैसिलस मेगाथिरियम नामक बैक्टीरिया चाय व तम्बाकू की पत्तियों पर किण्वन करके उसमे विशेष प्रकार की सुगंध व स्वाद उत्पन्न करते हैं।
जैसे- Coca में चाकलेट का स्वाद बैक्टीरिया के किण्वन क्रिया के कारण होता है।
जैविक खाद के उत्पादन में
कृषि अपशिष्ट गोबर तथा अन्य अपशिष्ट पदार्थो को खाद में परिवर्तन मिथोनोजेनिक बैक्टीरिया द्वारा होता है।
चमड़ा बनाने में
पशुओ के खाल से बालो और बसा को हटाने में। इस क्रिया में बड़े बड़े हौज में खाल को सड़ने दिया जाता है। जिससे बैक्टीरिया एक एंजाइम स्रावित करते है। और खाल बाल और मांस को गलाकर निकला जाता है।
प्रतिजैविक के उत्पादन में
कुछ बैक्टीरिया अत्यंत महत्वपूर्ण औषधिया व विटामिन बनाने में काम आते हैं। ये किण्वन के द्वारा प्रतिजैविक का निर्माण करता है। जैसे- स्ट्रेप्टोनोइसिन -स्ट्रेयोकोक्स ग्रीगस
कुछ बैक्टीरिया मनुष्य की आतो में भी एंजाइम का उत्पादन करते हैं। जो भोजन को पचाने में मदद करते हैं।
बैक्टीरिया से हानि
भोजन की विषाक्तता में
बैक्टीरिया क्लोस्ट्रीडियम बोटूलिनिय्म एवं स्टैफिलोकोस भोजन विषाक्त बना देते हैं।
रोगों के कारण
जन्तु एवं पादपो में अनेक बैक्टीरिया जनित रोग होते हैं।
जैसे- हैजा – विब्रियो कॉलेरी कुष्ठ रोग – माइको बैक्टीरिया लैप्री तपेदिक – माईको बैक्टीरियम टूयूबरकुलोसिस
मृदा की उवर्रता में कमी
डिस्ल्फो विब्रियो नामक बैक्टीरिया सल्फेट को हैड्रोजन सल्फाइड में बदलता है। जिसे विस्ल्फीकरण कहते हैं। थाथोबैसिल्स एंव माइक्रोबैसिलस नामक बैक्टीरिया मृदा उपस्थित नाइट्रेट नाइट्राट व अमोनिया
निष्कर्ष
आज के इस आर्टिकल में हमने आपको बैक्टीरिया की खोज किसने की जीवाणु की खोज किसने की और कब की बैक्टीरिया के लाभ और हानि बैक्टीरिया संक्रमण क्या है। इससे सम्बंधित सारी जानकारी आपको हमने इस आर्टिकल के माध्यम से दी आशा करता हूँ। अब आपको बैक्टीरिया की खोज किसने की इसके बारे में जानकारी प्राप्त हो गई होगी। अगर आपको हमारा यह आर्टिकल पसंद आया हो तो इसे अपने दोस्तों में ज्यादा से ज्यादा शेयर करें। ताकि बैक्टीरिया की सर्वप्रथम खोज की जानकारी उन्हें भी प्राप्त हो सके। एक बार हमें कमेंट करके जरुर बताएं आपको हमारा यह आर्टिकल कैसा लगा धन्यवाद। अगर आपको रोजाना पड़ाई-लिखाई से मिलते जुलते लेख चाहिए हो हिंदी बायोलॉजी वेबसाइट को हमेशा ही विजिट करते रहें। क्योंकि हम अपनी वेबसाइट पर आपके इस्तेमाल में आने वाले लेख हमेशा लिखते रहेंगे।