हृदय के कितने भाग होते हैं, हृदय कैसे काम करता है – जानें
हृदय के कितने भाग होते हैं?
दोस्तों स्वागत है आपका हमारी हिंदी बायोलॉजी की इस वेबसाइट पर। आज के साथ आर्टिकल में हम आपको ह्रदय क्या हैं। हृदय के कितने भाग होते हैं? हृदय कैसे काम करता है? ह्रदय कार्य क्या होते हैं? ह्रदय में कितने वाल्व होते हैं? इसके बारे में बताएँगे। इसके साथ साथ हम आपको मेंढक के ह्रदय के कितने भाग होते हैं? तथा ह्रदय रोगों के नाम क्या होते हैं। इसके बारे में विस्तार के साथ बताएँगे। यह एक बहुत महत्वपूर्ण टॉपिक है। इस टॉपिक से सम्बंधित प्रश्न परीक्षाओं में पूछ लिए जाते हैं। इसलिए बायोलॉजी के सभी स्टूडेंट्स को इसके बारे में पता होना चाहिए।
पिछले आर्टिकल में हमने आपको बी फार्मा किसे कहते हैं? इसके बारे में विस्तार के साथ बताया। जो एक बहुत जानकारी भरा आर्टिकल है। इसके बारे में स्टूडेंट्स को पता होना चाहिए। अगर आपने इस आर्टिकल को अभी तक नहीं पढ़ा है तो आप इस आर्टिकल को हमारी हिंदी बायोलॉजी की इस वेबसाइट से पढ़ सकते हैं। आज के इस आर्टिकल में हम आपको ह्रदय के कितने भाग होते हैं। हृदय के क्या कार्य होते हैं? इसके बारे में विस्तार से बताने वाले हैं। इसलिए इस आर्टिकल को अंत तक जरूर पढ़े। ताकि यह आर्टिकल आपको अच्छे से समझ आ सके।
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ह्रदय क्या हैं? (हृदय के कितने भाग होते हैं?)
हृदय मानव शरीर का एक अत्यंत महत्वपूर्ण अंग मन जाता है। हृदय विशेष प्रकार की पेशिओं द्वारा बना होता है। ये पेशियाँ क्रियाशील होती हैं। हृदय भिन्न अंगो में रूधिर को एकत्रित करके पम्प करता है।हृदय वक्ष गुहा में फेफड़ो के बीच स्थित होता है। इसका अधिकांश भाग वक्ष गुहा के बायीं ओर तथा थोड़ा सा भाग अस्थि के दायीं ओर होता है। व्यक्ति का हृदय लगभग 12 से 14 सेमी लम्बा होता है। 9 सेमी चौड़ा तथा 6 सेमी मोटा होता है। इसका भार लगभग 300 ग्राम होता है। मानुष का हृदय एक दोहरी झिल्ली से घिरा होता है। इसमें आलिन्द और निलय पाए जाते हैं। हृदय रूधिर को पम्प करता है। हृदय का आकार मुट्ठी की तरह होता है। इसका बजन व्यस्को में 250 से 300 ग्राम तथा जो व्यस्क महिलाऐं होती है उनके हृदय का बजन 200 से 275 ग्राम के बीच होता है।
हृदय का वाल्व तीन लेयर से मिलकर बना होता है। पहली लेयर पेरीकार्डियम, दूसरी लेयर मायोकार्डियम, तथा तीसरी लेयर को इंडोकार्डियम कहते हैं। ह्रदय चारो ओर से एक मेम्ब्रेन द्वारा लिपटा रहता है इस मेम्ब्रेन को हम पेरीकार्डियम कहते हैं। मायोकार्डियम हृदय की मसल्स का मिडिल लेयर है। और जो इंडोकार्डियम है वो टिश्यू की अन्दर वाली लेयर है। जो हार्ट के चेम्बर को रेखावध्द करती है। इंडोकार्डियम वाल्व तथा ह्रदय चेम्बर को सुरक्षा प्रदान करता है। हृदय लगातार सिकुड़ता और फैलता रहता है। इस प्रक्रिया के द्वारा यह शरीर के विभिन्न भागो में धमनियों के द्वारा ब्लड को भेजता रहता है।
हृदय कैसे काम करता है? (हृदय के कितने भाग होते हैं)
हमारा हृदय एक तरह से पम्प की तरह व्यवहार करता है। और इस हार्ट रुपी पम्प के दो भाग होते हैं। एक दायाँ भाग और एक वाया भाग ये दोनों भाग मसल्स की एक परिधि द्वारा एक दूसरे से अलग रहते हैं जिसे सेप्टम कहते हैं। इसके कारण दाये भाग से रूधिर न तो बाये भाग में जा सकता है और ना ही बाये भाग से रूधिर दाये भाग में आ सकता है। पूरे शरीर का कार्बनडाई ऑक्साइड युक्त अशुद्ध रूधिर के दाये भाग में पहुचता है। और यही से फेफड़ो में जाता है हृदय का बाया भाग फेफड़ो से रूधिर को लेकर पूरे शरीर में पंहुचा देता है।
हृदय का जो अन्दर वाला भाग होता है वह चार चेम्बर में बटा होता है। दो ऊपर के चेम्बर और दो नीचे के चेम्बर ऊपर का भाग जो ब्लड को शरीर से लेता है उसे आलिन्द कहते हैं और नीचे के भाग को निलय कहते हैं इस प्रकार हृदय में दो आलिन्द और दो निलय होते हैं। आलिन्द को रूधिर सम्बन्धी बहुत कम कार्य करना पढ़ता है। इसलिए इसकी मसल्स पतली होती हैं। जबकि निलय की मसल्स मोटी होती है। क्योंकि यह ब्लड को अधिक प्रेशर से पम्प करता है। जो रूधिर बहिकाएँ शरीर का रूधिर वापस हृदय में लती हैं उन्हें शिराएँ कहते हैं ये काम दो शिराएँ करती हैं। जिन्हें सुप्रेरियर वेना कावा और इन्फेरिएर वेना कावा कहते हैं। ये शिराएँ शरीर के ऊपर और नीचे के भागो में से रूधिर को हृदय तक पहुचती हैं।
यानि पूरे शरीर में घूम कर लौटा हुआ अशुद्ध रूधिर जिसमे ऑक्सीजन भी सम्मिलित होता है। वापस आकर हृदय के दाये आलिन्द में ही जमा होता है। जब दायाँ आलिन्द रूधिर से भर जाता है तो इसमें सिकुडन होने लगती है। इसके बाद रूधिर ट्राईकस्पिड वाल्व द्वारा दाये निलय में जाता है। इसके बाद रूधिर पल्मोनरी वाल्व से होते हुए फेफड़ो में चला जाता है। फेफड़ो में ही रूधिर का शुद्धिकरण होता है। मतलब उसमे से कार्बन डाईऑक्साइड निकल जाती है और ऑक्सीजन गुल जाती है।
फेफड़ो में शुद्ध हुआ रूधिर अब चार पल्मोनरी वेंस द्वारा हृदय के बाये आलिन्द में पहुच जाता है। वाये आलिंद के सिकुड़ने पर जितना भी ब्लड होता है वह माइट्रल वोल्व द्वारा हृदय के वाएं निलय में चला जाता है। जब वाया निलय सिकुड़ता है तब रूधिर महाधमनी में और इससे निकलने वाली सब बरांचेस द्वारा शरीर के प्रत्येक हिस्से में पहुच जाता है।रूधिर संचरण का यह क्रम जीवन भार चलता रहता है।
ह्रदय में कितने वाल्व होते हैं?
हृदय शरीर का महत्वपूर्ण अंग होता है इसमें चार वाल्व पाए जाते हैं जो रक्त के हृदय में जाने पर व निकलने पर खुलते हैं। चार वाल्व जो हृदय के माद्यम से रक्त के प्रवाह का मार्ग निर्धारित करने का काम करते हैं निम्नलिखित हैं।
- पल्मोनरी वाल्व
- ट्राइकस्पिड वाल्व
- माइट्रल वाल्व
- एओर्टिक वाल्व
ह्रदय के कार्य
हृदय के कई कार्य होते हैं इनमे से कुछ महत्वपूर्ण कार्य निम्नलिखित हैं।
- फेफड़ो से आये हुए शुद्ध रूधिर को शरीर के प्रत्येक भाग में पहुचाता है और वहां से आए अशुद्ध रूधिर को शुद्ध करने के लिए फेफड़ो में भेजता है।
- ह्रदय का कार्य ब्लड पम्पिंग समय को नियंत्रित करना, गति को निरंतर बनाए रखना तथा शरीर के बिभिन्न भागो में तालमेल बनाए रखना भी होता है।
- हृदय द्वारा ब्लड फ्लो नियमित वेव के रूप में होता है। जिससे नस में धड़कन पैदा होती है।
ह्रदय रोगों के नाम
हृदय रोग कई प्रकार के होते हैं जिनमे से कुछ निम्नलिखित हैं।
- ह्रदयाघात या दिल का दौरा
- आमवात ज्वर या रूमेटिक हृदय रोग
- हृदय की विफलता या हार्ट फेल
- पेरीकार्डियल वहाव
प्रश्न- हृदय के कितने भाग होते हैं?
उत्तर- मनुष्य का हृदय दो भागो में विभाजित होता है दायाँ भाग और वाया भाग।
प्रश्न- मेंढक के ह्रदय के कितने भाग होते हैं?
उत्तर- मेंढक उभयचर वर्ग से सम्बंधित है इसमें तीन कक्षीय हृदय होता है। जिसमे दो आलिन्द और एक निलय होते हैं।
निष्कर्ष
आज के इस आर्टिकल में हमने आपको ह्रदय क्या हैं? हृदय के कितने भाग होते हैं? हृदय कैसे काम करता है? ह्रदय के कार्य क्या होते हैं? ह्रदय में कितने वाल्व होते हैं? इसके बारे में बताया है। इसके साथ साथ हमने आपको मेंढक के ह्रदय के कितने भाग होते हैं? तथा ह्रदय रोगों के नाम क्या होते हैं। इसके बारे में साथ बताया है। यह एक बहुत महत्वपूर्ण टॉपिक है। इस टॉपिक से सम्बंधित प्रश्न परीक्षाओं में पूछ लिए जाते हैं। इसलिए बायोलॉजी के सभी स्टूडेंट्स को इसके बारे में पता होना चाहिए। इसी तरह के महत्वपूर्णटॉपिक की जानकारी हम अपनी इस वेबसाइट पर देते रहते हैं। इसी तरह के टॉपिक की जानकारी पाने के लिए जुड़े रहिए हमारी हिंदी बायोलॉजी की इस वेबसाइट के साथ तब तक के लिए धन्यवाद।