पारिस्थितिकी (Ecology) की परिभाषा – Father Of Ecology (हिंदी में)

पारिस्थितिकी (Ecology) की परिभाषा
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हेल्लो दोस्तों कैसे हैं आप सब आशा करता हूँ बढ़िया होंगे। पिछले आर्टिकल में हमने आपको मानव स्वास्थ्य एंव रोग क्या है इसके बारे में बताया और आज के इस आर्टिकल में हम आपको पारिस्थितिकी ecology के बारे में बात करेंगे दोस्तों पढाई से सम्बंधित जानकारी पाने के लिए हमारी वेबसाइट को विजट करते रहिये।

Ecology (परिस्थितिकी)

परिस्थितिकी जीवो तथा उसके पर्यावरण का पास्परिक सम्वंध ही Ecology कहलाता है। किसी निश्चित क्षेत्र में उपस्थित पूर्ण जैविक तथा अजैविक घटको का पाया जाना Ecology कहलाता है।

  • परिस्थितिकी (Ecology)  शब्द का प्रयोग हेकल ने सर्वप्रथम किया था।
  • परिस्थितिकी (Ecology) के जनक रेटर (Riter) हैं।
  • भारतीय परिस्थितिकी (Ecology) के जनक Ram Deo Misra (R-Misra) हैं।

परिस्थितिकी (Ecology) तंत्र की शाखाएं प्रमुख रूप से दो प्रकार की होती हैं।

  • AUto Ecology
  • Syni Ecology

Auto Ecology

जब किसी Single Spaces के सम्वन्ध के साथ किया जाता है। तब इसे Auto Ecology कहते हैं। Ecology को Species Ecology भी कहते हैं।

उदहारण– जैसे मानव जाती का अध्यान उसके पर्यावरण के साथ

Syne Ecology

जब विभिन्न जातियों के समूह के सम्वन्ध का अध्यान उसके पर्यावरण साथ किया जाता है। तव इसे Syne Ecology कहते हैं।

मानव स्वास्थ्य एंव रोग

तापमान (Temperature)

तापमान Ecology का सबसे महत्व पूर्ण करक है। Equater से Poles की तरफ जाने पर तापमान कम होता है। तथा Plin  से Mountain की तरफ जाने पर तापमान कम होता है।

तापमान Temperature

जल (Water)

तापमान के वाद जीव की लाइफ को प्रभवित करने वाला महत्वपूर्ण जल है। जल ही जीवन है। मनुष्य के लिए शुध्दजल ही जीवन है। जीवन की उत्पति जल से हुई थी तथा बिना जल के जीवन सम्भव नहीं है। रेगिस्तान में जल बहुत निश्चित होता है इसलिए केवल विशिष्ट अनुकूलनदवरा वहां रहना सम्भव है। पौधों की उत्पादकता और वितरण भी भी जल पर ही बहुत ज्यादा निर्भर करता है। रेगिस्तान में रहने वाले जीवो को भी जल सम्बधि समस्याओ का सामना करना पड़ता है।

  • जलीय जीवो को जल का PH तथा जल का रासयनिक संगठन मुख्य होता है।

प्रकाश (Light)

प्रकाश के द्वारा पौधे प्रकाश सश्लेष्ण करते हैं। पौधों में पुष्पन भी प्रकाश पर निर्भर करता है। प्रकश की परावैगनी किरणे जीवो पर हानिकारक प्रभाव डालती है।

लाल शैवाल (Red Algae)

ये समुद्र की गहराई में पाए जाते हैं। ये प्रकाश सशलेषण के लिए कम तरंग दैधर्य का प्रयोग करते हैं। इसलिए लाल शैवाल का रंग (Phycolrythrin) वर्णक के कारण होता है।

स्वल मिट्टी (self soil)

भिन्न स्थानों पर मिट्टी का Nucher और गुण अलग-अलग होते हैं। मिट्टी के बिना पेड पौधों का जीवन नहीं है।

 अजैविक कारको के प्रति अनुक्रियाये (Responses to abiotic factors)

अजैविक कारको के प्रति अनुक्रियायें निम्न प्रकार होती हैं।

  1. Regulaters(नियामक)
  2. Con Fermers(संरूपी)
  3. Partial Regulaters (आंशिक नियामक)

Regulaters (नियामक)

वे जिव जिनका बॉडी temperature caostent रहता है लेकिन वह्य तापमान पर्यावर्णीय तापमान बदलता रहता है। ऐसे जीव Homeostasis समस्थापन प्रदर्शित करते हैं।

Homeostasis– इसमें शारीर का तापमान परासणी सांद्रता आदि स्थिर रहती है।

Con Fermers(संरूपी)

वे जिव जिनके शारीर का तापमान पर्यावर्णीय तापमान के साथ बदलता रहता है। उन्हें Con Farmers कहते हैं

Ex- लगभग 99%सभी एनिमल एंड सभी पौधे

Partial Regulaters (आंशिक नियामक)

जब किसी जीव के शारीर का तापमान एक निश्चित समय तक तो पर्यावरण के तापमान के साथ तो बदलता रहता है। लेकिन एक निश्चित समय के बाद जीव के शारीर का तापमान का तापमान तो स्थिर हो जाता है। किन्तु पर्यावर्णीय तापमान बदलता रहता है।

Ex- गिलहरी(squirrel)

प्रवसन (Migration)

जब कोई जीव कुछ समय के लिए अपने Stersfull Habital ( तनाव पूर्ण आवस ) को छोड़कर अच्छे और अधिक अनुकूल Hospitable क्षेत्र में चले जाते हैं। ऐसे जीवो को प्रवसन Migration कहते है।

Migration

Ex- मानव गर्मी में दिल्ली से शिमला चला जाता है। ऐसे ही कई जंतु या पक्षी सर्दियों में लम्बी दुरी का प्रवसन करके अधिक गर्मी वाले स्थानों पर चले जाते हैं। प्रत्येक Winter में राज्यस्थान स्थित प्रसिद्ध केबल देव (Kealado National Park) भरतपुर सिब्रिया और अन्य अत्यधिक ठण्डे उत्तरी क्षेत्रो से आने वाले प्रवासी पक्षियों की अतिथि के रूप में पक्षियों का स्वागत करते हैं।

निलंबित (Suspended)

वे जीव जो Mygrad नहीं कर पाते हैं वो Stres से बचने के लिए उपाचयीक क्रियाओ को धीमा कर लेते हैं। इसे Suspended कहा जाता है। जैसे- जीवणु ककवो और निम्न पादपो में भिन्न प्रकार के मोती भांति वाले जीवाणु वं जाते हैं। जिससे उन्हें प्रतिकुल परस्थितियो में जीवित वचे रहने में सहयता मिलती है। तथा उपयुक्त वतावरण उपलव्ध होने पर ये फिर से अनुकुलहो जाते हैं।

अंत: विशिष्ट अन्योन्य क्रियाये (Inter Specific Intraction)

वे विशिष्ट क्रियाएं जिनमे एक या दो जातियो के सदस्य के बीच लाभ तथा हानि के लिए होने वाली अंत: क्रियाओ को ही  अन्योन्य  Inter Specific Intraction अधिकाशंत अन्योन्य क्रिया भोजंके लिए होती है। ये दो प्रकार की होती हैं।

  1. Positive Interaction
  2. Negative Interaction

Positive Interaction (धनात्मक अन्त क्रियाएं)

जब एक या दो जीव जातियों के बिच Interaction होता है। तव दोद्नो को लाभ होता है या तो एक को लाभ और एक को हनी होती है। +=लाभ होना   O=हानि होना

Symbiosis (सहजीवता)

सहजीवता एक धनात्मक पारस्परिक क्रिया है जिनमे दो या दो से अधिक जातियो के जीव एक दुरे के साथ होते हैं। इसमें एक या सभी जीवो को लाभ होता है

Negative Interaction (ऋणात्मकअन्त: क्रियाएं )

इस प्रकार की पास्परिकक्रियाओ में एक जीव अपने के लिए दुसरे जीव को हनी पहुचता है इसे प्रमुख कारण हैं।

Completition (स्पर्धी)

यह ऐसी अंत: क्रियाएँ हैं जो तब उत्पन्न होती है। जब दो या दो से अधिक सदस्य भोजन स्थान प्रजनन या अन्य संसाधनो को प्राप्त करने का प्रयास करते हैं। स्पर्धी दो प्रकार की होती है।

  1. Intrespecific Cometition
  2. Intrespecific Cmpetition

हिंदी में पड़ने के लिए यहाँ क्लिक करें 

निष्कर्ष

आज के इस आर्टिकल में हमने आपको पारिस्थितिकी ecology के बारे में और तापमान प्रकश इन से सम्बंधित महत्वपूर्ण जानकारी आपको इस आर्टिकल के माध्यम से दी। आशा करता हूँ आपको पारिस्थितिकी ecology प्रकश तापमान से सम्बंधित सभी जानकारी आपको यह आर्टिकल पढ़कर मिल गई होगी। अगर आपको हमारा यह आर्टिकल पसंद आया हो तो इस आर्टिकल को अपने दोस्तों में ज्यादा से ज्यादा शेयर करें। ताकि प्रकाश पारिस्थितिकी ecology से सम्बंधित जानकारी उन्हें भी प्राप्त हो सके। एक बार हमें कमेंट करके जरुर बताएं आपको हमारा यह आर्टिकल कैसे लगा धन्यवाद। अगर आपके मन में कोई भी सवाल है तो नीचे कमेंट बॉक्स में हमें जरुर कमेंट करें।

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